Go To Mantra

मा वां॒ वृको॒ मा वृ॒कीरा द॑धर्षी॒न्मा परि॑ वर्क्तमु॒त माति॑ धक्तम्। अ॒यं वां॑ भा॒गो निहि॑त इ॒यं गीर्दस्रा॑वि॒मे वां॑ नि॒धयो॒ मधू॑नाम् ॥

English Transliteration

mā vāṁ vṛko mā vṛkīr ā dadharṣīn mā pari varktam uta māti dhaktam | ayaṁ vām bhāgo nihita iyaṁ gīr dasrāv ime vāṁ nidhayo madhūnām ||

Mantra Audio
Pad Path

मा। वा॒म्। वृकः॑। मा। वृ॒कीः। आ। द॒ध॒र्षी॒त्। मा। परि॑। व॒र्क्त॒म्। उ॒त। मा। अति॑। ध॒क्त॒म्। अ॒यम्। वा॒म्। भा॒गः। निऽहि॑तः। इ॒यम्। गीः। दस्रौ॑। इ॒मे। वा॒म्। नि॒ऽधयः॑। मधू॑नाम् ॥ १.१८३.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:183» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:29» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (दस्रौ) दुःखनाशक शिल्पविद्याऽध्यापक उपदेशको ! (वाम्) तुम दोनों के (इमे) ये (मधूनाम्) मधुरादि गुणयुक्त पदार्थों के (निधयः) राशी समूह (वाम्) तुम दोनों का (अयम्) यह (भागः) सेवने योग्य अधिकार (निहितः) स्थापित और (इयम्) यह (गीः) वाणी है तुम दोनों हमको (मा, परि, वर्क्तम्) मत छोड़ो (उत) और (मा, अति, धक्तम्) मत विनाशो और जिससे (वाम्) तुम दोनों को (वृकः) चोर, ठग, गठकटा आदि दुष्ट जन (मा) मत (वृकीः) चोरी, ठगी, गठकटी आदि दुष्ट औरतें (मा, आ, दधर्षीत्) मत विनाशें मत नष्ट करें ॥ ४ ॥
Connotation: - मनुष्य जब घर में निवास करें वा यानों में और वन में प्रतिष्ठित होवें तब भोग करने के लिये पूर्ण भोग और उपभोग योग्य पदार्थों, शस्त्र वा अस्त्रों और वीरसेना को संस्थापन कर निवास करें वा जावें, जिससे कोई विघ्न न हो ॥ ४ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे दस्रौ वामिमे मधूनां निधयो वामयं भागो निहित इयं गीश्चास्ति। युवामस्मान् मा परिवर्क्तमुतापि मातिधक्तं येन वां वृको मा वृकीर्मा दधर्षीत्। तमुपायं युवां सदा नितिष्ठताम् ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (मा) निषेधे (वाम्) युवाम् (वृकः) स्तेनः (मा) (वृकीः) स्तेनस्य स्त्रीः। अत्र पूर्वसवर्णादेशः। (आ) अपि च (दधर्षीत्) धर्षेत् (मा) (परि) (वर्क्तम्) त्यजतम् (उत) अपि (मा) (अति) (धक्तम्) दहतम् (अयम्) (वाम्) युवयोः (भागः) भजनीयोऽधिकारः (निहितः) स्थापितः (इयम्) (गीः) आज्ञप्ता वाक् (दस्रौ) दुःखोपक्षयितारौ (इमे) (वाम्) युवयोः (निधयः) राशयः (मधूनाम्) मधुरादिगुणयुक्तानां सोमादिपदार्थानाम् ॥ ४ ॥
Connotation: - मनुष्या यदा गृहे निवसेयुर्यानेष्वरण्ये वा प्रतिष्ठेरँस्तदा भोगोपभोगयोग्यान् पदार्थान् शस्त्रास्त्राणि वीरसेनाञ्च संस्थाप्य निवसेयुर्गच्छेयुर्वा यतः कश्चिदपि विघ्नो न स्यात् ॥ ४ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणूस जेव्हा घरात निवास करतो अथवा यानात किंवा वनात असतो तेव्हा भोग करण्यासाठी पूर्ण भोग व उपभोगयोग्य पदार्थ, शस्त्र, अस्त्र व वीरसेना बाळगावी. ज्यामुळे कोणतेही विघ्न येता कामा नये. ॥ ४ ॥